Raidas Ke Pad Flashcards
जाकी अँग-अँग बास समानी
जिस प्रकार चंदन का लेप लगाने पर सारे अंग सुगंधित हो जाते हैं ठीक उसी प्रकार ईश्वर की भक्ति पूरी शरीर में समाकर शरीर और मन दोनों को ही पवित्र कर देती है।
जैसे चितवत चंद चकोरा
जिस प्रकार चकोर पक्षी रात भर चंद्रमा की ओर टकटकी लगाए देखता रहता है और सुबह होने की प्रतीक्षा करता है। ठीक उसी प्रकार भक्त एक तक ईश्वर की भक्ति में लीन रहता है ताकि उसकी कृपा को पा सके।
जाकी जोति बरै दिन राती
इस पंक्ति का भाव यह है कि कवि स्वयं को दिए की बाती और ईश्वर को दीपक मानते है। ऐसा दीपक जो दिन-रात जलता रहता है।
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
कवि प्रभु का आभार प्रकट करते हुए कह रहे हैं कि आप ही हैं जो इतनी उदारता दिखा सकते हैं। आप निडर होकर सभी का कल्याण करने वाले हैं।
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै
कवि का कहना है कि मेरे प्रभु समाज में नीचे समझे जाने वाले लोगों की ऊंचा करने वाले अर्थात समाज में सामान दिलाने वाले हैं और ऐसा करते समय वह किसी से भी नहीं डरने वाले हैं।
रविदास के पहले और दूसरे पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- रविदास जी ने पहले दोहे में कुछ उदाहरण देते हुए भगवान और भक्त को एक दूसरे का पूरक बताया है। जैसे चंदन और पानी, दीपक और बाती, बादल और मोर एक दूसरे के संपर्क में आने पर प्रभावित होते हैं। वैसे ही भक्त और भगवान भी एक दूसरे के संपर्क में आने पर ही प्रसन्न होते हैं।
- रविदास जी ने दूसरे पद में भगवान का धन्यवाद करते हुए कहा है कि आप ही संसार में सब का कल्याण करने वाले तथा समाज में निम्न समझे जाने वाले लोगों का उद्धार करने वाले हो।