दो कलाकार Flashcards
अरुना खिझलाहट भरे स्वर से क्यों उठी?
चीत्रा ने अरुना की चादर खींचकर उसे झकझोर कर उठा दिया था।
अरुना ने चित्रा को अपने चित्र के बारे में क्या सलाह दी?
अरुना ने सलाह दी की चित्रा को जो चीज़ की चित्र बना रही है उसका नाम लिखना चाहिए, नहीं तो चित्रा बनाएगी हाथी और अरुना समझेगी उल्लू.
चित्रा की चित्र की वर्णन
चित्रा कि चित्र में एक सड़क, आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब एक-दूसरे पर चढ़ रही थी।
चित्रा की चित्र क्या चीज़ की प्रतीक थी?
आज की दुनिया में “कन्फ्यूज़न” का प्रतीक
अरुना के अनुसार चित्रा की चित्र क्या चीज़ की प्रतीक है?
चित्रा की दिमाग की कन्फ़्यूज़न
अरुना क्या समाज सेवा का काम करती है?
वह चौकीदरों, नौकरों और चपरासियों के बच्चें को पढ़ाती है।
अरुना चित्रा को आदमी क्यों नहीं समझती है?
अरुना के अनुसार:
चित्रा को दुनिया से कोई मतलब नहीं, दूसरों से कोई मतलब नहीं, बस चौबीस घंटे अपने रंग और तूलिकाओं में डूबी रहती है।
दुनीया में कितनी बड़ी घटना घट जाए, पर यदि उसमें चित्रा की चित्र के लिए विचार नहीं तो चित्रा लिए वह घटना कोई महत्त्व नहीं रखती।
हर घड़ी, हर जगह और हर चीज़ में चित्रा अपने चित्रों के लिए मॉडल खोजा करती है।
कागज़ पर निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय दो-चार की ज़िंदगी चित्रा को बनाना चाहिए।
बाढ़ पीड़ित लोग की सहायता करके जब चित्रा पन्द्रह दिन वापस आई उसका हालत कैसा था?
उसका हालत काफी खास्त हो गया था। सूरत ऐसी निकल आई थी मानो छह महीने से वह बीमार हो।
क्या चीज़ के कारण अरुना के मन मे “कैसा-कैसा” हो गया?
चित्रा के बाढ़ पर चित्र के कारण अरुना के मन मे “कैसा-कैसा हो गया”।
सारा होस्टल अरुना और चित्रा की मित्रता को कैसा दृष्टि से देखता था?
ईर्ष्या की दृष्टि
चित्रा अपने गाड़ी के पहले बड़ी देर से क्यों आई?
गर्ग स्टोर के सामने पेड़ के नीचे एक मरी भिखारिन थी। उसके बच्चे उसकी सूखी शरीर को चिपककर बुरी तरह से रो रहे थे। चित्रा इस का रफ-स्केच बना ली थी। इस कारण उसे आने में देर हो गई।
विदेश में चित्रा को क्या हो गया?
- विदेश जाकर चित्रा तन-मन से अपने काम में जुट गैइ। उसकी लगन ने उसकी कला को निखार दिया।
- विदेश में उसके चित्रों की छूम मच गैइ।भिखारिन और दो अनाथ बच्चों के उस चित्र की प्रशंसा में अखबारों के कॉलम-के-कॉलम भर गए।
- शोहरत के ऊँचे कागर पर बैठे, चित्रा जैसे अपना पिछला सब कुछ भूल गई। पहले वर्ष तो अरुणा से पत्र व्यवहार बड़े नियमित रूप से चला, फिर कम होते होते एकदम बंद हो गया।
- अनेक प्रतियोगिताओं में उसका “अनाथ” शीर्षकवाला चित्र प्रथम पुरस्कार पा चुका था। वह चित्र को देखकर लोग चकित रह जाते थे।
- तीन साल बाद जब वह भारत आई उसका बड़ा स्वागत हूआ। अखबारों में उसकी कला पर, उसके जीवन पर अनेक लेख छपे। पिता अपनी इकलौती बिटिया की इस सफलता पर बहुत प्रसन्न थे। दिल्ली में उसके चित्रों की प्रदर्शनी का विराट आयोजन किया गया और उसे उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया था।
उद्देश्य
इस कहानी के माध्यम से लेखिका ने दो सहेलियों का चित्रण किया है। गहरी दोसती होने के बाद भी दोनों के जीवन का लक्ष्य अलग-अलग है। अरुणा के जीवन का लक्ष्य समाज-सेवा है जबकि चित्रा के जीवन का लक्ष्य एक महान चित्रकार बन्ना है।
मन्नु भंडारी ने दोनों पात्रों के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि कलाकार की सच्ची पहचान क्या होती है। चित्रा के अनुसार अच्छे चित्र बनाना ही सच्चे कलाकार कि पहचान होती है जबकि अरुणा कै अनुसार इन जनिर्जीव चित्रों को बनाने में समय बेकार करने से कहीं बेहतर है कि जीवित प्राणियों का कुछ सहायता की जाए। जो निर्धन हैं, असहाय हैं, पीड़ित हैं और शोषित हैं, उनके जीवन में सुधार लाने का प्रयास किया जाए।
अरुणा
समाजसेविका(society worker): aruna left to help the baadh-piidit people
प्रेरणा देने वाली(inspiration giving): we should be inspired by aruna’s samaajh-sevaa and we should strive to help society like her
भावुक(emotional): she felt sadness when she got to know that aruna is leaving
चित्रा
प्रतिष्ठित चित्रकार(great artist): her paintings received great praise and an exhibition(प्रदर्शनी) was opened for her art
दयालुता का अभाव(lack of kindness): when she saw the dead bhikharin, instead of helping her, she took a sketch of her and moved on
धनी(rich): her father is rich